मधुमेह पर हिन्दी में जानकारी

मधुमेह पर हिन्दी में जानकारी-


मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। यह बीमारी में हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है।[2] रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं। धमनियों में बदलाव होते हैं। इन मरीजों में आँखोंगुर्दों, स्नायु, मस्तिष्कहृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।[3]
मधुमेह होने पर शरीर में भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने की सामान्य प्रक्रिया तथा होने वाले अन्य परिवर्तनों का विवरण इस प्रकार से है। किया गया भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। अग्नाशय वह अंग है जो रसायन उत्पन्न करता है और इस रसायन को इंसुलिन कहते हैं। इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है। ग्लूकोज से मिलकर ही यह कोशिकाओं तक जा सकता है। शरीर को ऊर्जा देने के लिए कोशिकाएं ग्लूकोज को उपापचित (जलाती) करती है। ये प्रक्रिया सामान्य शरीर में होती हैं।
मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है। ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते जिसके कारण इस प्रकार हैं:
  • इंसुलिन की मात्रा कम हो सकती है।
  • इंसुलिन की मात्रा अपर्याप्त हो सकती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है।
  • पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है।

लक्षण-



मधुमेह होने के कई लक्षण रोगी को स्वयं अनुभव होते हैं। इनमें बार-बार पेशाब आते रहना (रात के समय भी), त्वचा में खुजली होना, धुंधला दिखना, थकान और कमजोरी महसूस करना, पैरों का सुन्न होना, प्यास अधिक लगना, कटान/घाव भरने में समय लगना, हमेशा भूख महसूस करना, वजन कम होना और त्वचा में संक्रमण होना आदि प्रमुख हैं।


मधुमेह रोग के प्रमुख लक्षण ये हैं-
  • रोगी का मुँह खुश्क रहना तथा अत्यधिक प्यास लगना।
  • भूख अधिक लगना।
  • अधिक भोजन करने पर भी दुर्बल होते जाना।
  • बिना कारण रोगी का भार कम होना, शरीर में थकावट के साथ-साथ मानसिक चिन्तन एवं एकाग्रता में कमी होना।
  • मूत्र बार-बार एवं अधिक मात्रा में होना तथा मूत्र त्यागने के स्थान पर मूत्र की मिठास के कारण चीटियाँ लगना।
  • शरीर में व्रण अथवा फोड़ा होने पर उसका घाव जल्दी न भरना।
  • शरीर पर फोड़े-फुँसियाँ बार-बर निकलना।
  • शरीर में निरन्तर खुजली रहना एवं दूरस्थ अंगों का सुन्न पड़ना।
  • नेत्र की ज्योति बिना किसी कारण के कम होना।
  • पुरुषत्वशक्ति में क्षीणता होना।
  • स्त्रियों में मासिक स्राव में विकृति अथवा उसका बन्द होना।



मधुमेह के प्रकार-



डायबिटीज मेलाइट्स को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है–
1. आई.डी.डी.एम. इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलाइट्स (इंसुलिन, आश्रित मधुमेह) टाइप–।
2. एन.आई.डी.डी.एम. नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलाइट्स (इंसुलिन अनाश्रित मधुमेह) टाइप–॥
3. एम.आर.डी.एम. मालन्यूट्रिशन रिलेटिड डायबिटीज मेलाइट्स (कुपोषण जनित मधुमेह)
4. आई.जी.टी.(इंपेयर्ड ग्लूकोज टोलरेंस)
5. जैस्टेशनल डायबिटीज
6. सैकेंडरी डायबिटीज

टाइप–। (इंसुलिन आश्रित मधुमेह)

टाइप–। मधुमेह में अग्नाशय इंसुलिन नामक हार्मोन नहीं बना पाता जिससे ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं दे पाता। इस टाइप में रोगी को रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य रखने के लिए नियमित रूप से इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। इसे ‘ज्यूविनाइल ऑनसैट . डायबिटीज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग प्रायः किशोरावस्था में पाया जाता है। इस रोग में ऑटोइम्यूनिटी के कारण रोगी का वजन कम हो जाता है।

टाइप-।। (इंसुलिन अनाश्रित मधुमेह)

लगभग 90% मधुमेह रोगी टाइप-।। डायबिटीज के ही रोगी हैं। इस रोग में अग्नाशय इंसुलिन बनाता तो है परंतु इंसुलिन कम मात्रा में बनती है, अपना असर खो देती है या फिर अग्नाशय से ठीक समय पर छूट नहीं पाती जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। इस प्रकार के मधुमेह में जेनेटिक कारण भी महत्वपूर्ण हैं। कई परिवारों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। यह वयस्कों तथा मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में धीरे-धीरे अपनी जड़े जमा लेता है।
अधिकतर रोगी अपना वजन घटा कर, नियमित आहार पर ध्यान देकर तथा औषधि लेकर इस रोग पर काबू पा लेते हैं।

एम.आर.डी.एम.(कुपोषण जनित मधुमेह)

भारत जैसे विकासशील देश में 15-30 आयु वर्ग के किशोर तथा किशोरियां कुपोषण से ग्रस्त हैं। इस दशा में अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता। रोगियों को इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं। मधुमेह के टाइप–। रोगियों के विपरीत इन रोगियों में इंसुलिन के इंजेक्शन बंद करने पर कीटोएसिडोसिस विकसित नहीं हो पाता।

आई.जी.टी. (इंपेयर्ड ग्लूकोज टोलरेंस)

जब रोगी को 75 ग्राम ग्लूकोज का घोल पिला दिया जाए और रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य तथा मधुमेह के बीच हो जाए तो यह स्थिति आई.जी.टी कहलाती है। इस श्रेणी के रोगी में प्रायः मधुमेह के लक्षण दिखाई नहीं देते परंतु ऐसे रोगियों में भविष्य में मधुमेह हो सकता है।

जैस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्था के दौरान)

गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह जैस्टेशनल डायबिटीज कहलाती है। 2-3% गर्भावस्था में ऐसा होता है। इसके दौरान गर्भावस्था में मधुमेह से संबंधित जटिलताएं बढ़ जाती हैं तथा भविष्य में माता तथा संतान को भी मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है।

सेकेंडरी डायबिटीज

जब अन्य रोगों के साथ मधुमेह हो तो उसे सेकेंडरी डायबिटीज कहते हैं। इसमें अग्नाशय नष्ट हो जाता है जिससे इंसुलिन का स्राव असामान्य हो जाता है, 

देखभाल

मधुमेह रोगियों को अपने शरीर की स्वयं देखभाल करनी चाहिये। उन्हें चाहिये कि हल्के साबुन या हल्के गरम पानी से नियमित स्नान करें। अधिक गर्म पानी से न नहाएं और नहाने के बाद शरीर को भली प्रकार पोछें तथा त्वचा की सिलवटों वाले स्थान पर विशेष ध्यान दें। वहां पर अधिक नमी जमा होने की संभावना होती है। जैसा कि बगलों, उरुमूल तथा उंगलियों के बीच। इन जगहों पर अधिक नमी से फफूंदी संक्रमण की अधिकाधिक संभावना होती है। त्वचा सूखी न होने दें। जब आप सूखी, खुजलीदार त्वचा को रगड़ते हैं तो आप कीटाणुओं के लिए द्वार खोल देते हैं। पर्याप्त तरल पदार्थों को लें जिससे कि त्वचा पानीदार बनी रहे।

मधुमेह संबंधी आहार


यह आहार भी एक स्वस्थ व्यक्ति के सामान्य आहार की तरह ही है, ताकि रोगी की पोषण संबंधी पोषण आवश्यकता को पूरी की जा सके एवं उसका उचित उपचार किया जा सके। इस आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कुछ कम है लेकिन भोजन संबंधी अन्य सिद्धांतो के अनुसार उचित मात्रा में है। मधुमेह संबंधी समस्त आहार के लिए जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, पुडिंग और चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवेचीनीकेलाचीकूसीताफल आदि जैसे फल आदि से बचा जाना चाहिए।

आहार नमूना

खाद्य सामग्रीशाकाहारी भोजन (ग्राम में)मांसाहारी भोजन (ग्राम में)
अनाज२००२५०
दालें६०२०
हरी पत्तेदार सब्जियाँ२००२००
फल२००२००
दूध (डेयरी का)४००२००
तेल२०२०
मछली/ चिकन-बगैर त्वचा का-१००
अन्य सब्जियाँ२००२००
ये आहार आपको निम्न चीजें उपलब्ध कराता है-
कैलोरी१६००
प्रोटीन६५ ग्राम
वसा४० ग्राम
कार्बोहाइड्रेट२४५ ग्राम

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