उक्त रक्तचाप के उपचार
उक्त रक्तचाप के उपचार-
रक्तचाप जिसे हाईपरटेंशन भी कहते हैं एक बहुत ही गंभीर और भयंकर रोग है क्योंकि अगर रोगी को सही समय पर सही चिकित्सीय मदद नहीं मिलती तो इससे हार्ट अटैक, ब्रेन हैंमरेज, वगैरह भी होने की संभावना रहती है।उच्च-रक्तचाप वह रोग है जिसमें हृदय के संकुचन की अवस्था में रक्त वाहिकाओं में रक्त का दबाव पारे के 140 mm से ज्यादा या हृदय के विस्तारण की अवस्था में 90 mm से ज्यादा रहता है या दोनों अवस्थाओं में ज्यादा रहता है। इसकी वजह है शारीरिक गतिविधियों की कमी। मोटापा, तनाव, खाने पीने में लापरवाही, गंभीर बीमारियाँ, अनुवांशिक बीमारियाँ, धूम्रपान, नशा वगैरह वगैरह।
हाइपरटेंशन प्राथमिक (मूलभूत) उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 90-95% मामले "प्राथमिक उच्च रक्तचाप" के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं, जिसका अर्थ है स्पष्ट अंतर्निहित चिकित्सीय कारण के बिना उच्च रक्तचाप।[1] अन्य परिस्थितियां जो गुर्दे, धमनियों, दिल, या अंतःस्रावी प्रणाली को प्रभावित करती हैं, शेष 5-10% मामलों (द्वितीयक उच्च रक्तचाप) का कारण होतीं हैं।
हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं।
उच्च रक्तचाप के मुख्य कारण/उपचार---
*उच्च रक्तचाप के मुख्य कारणों में से एक है आपके रक्त का गाढ़ा होना। रक्त गाढ़ा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। जिससे नसों और धमनियों पर दबाव पड़ता है। लहसुन में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेनट्स , जैसे कि सेलेनियम, विटामिन सी और एलीसीन होते है, जो कि रक्त को पतला करने में काफी प्रभावशाली होते हैं। इसीलिए सुबह सुबह कच्चे लहसुन के दो तीन कली के टुकड़े चबाने से या उसके महीन टुकड़े करके निगलने से काफी फायदा पहुँचता है।
*नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है, इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वालों को नमक का प्रयोग कम करना चाहिए।
*एक चम्मच आंवले का रस और एक ही चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में बहुत लाभ होता है।
*हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभकारी है, इसे खाली पेट चबा-चबाकर खाना चाहिए ।
*तरबूज के बीज तथा खसखस को अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। प्रतिदिन खाली पेट एक चम्मच पानी के साथ लें।
*गाजर और पालक का रस मिलाकर एक गिलास सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है।
*हाई ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीना चाहिए।
*जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास हल्के गर्म पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर घोलकर 2-2 घंटे में पीते रहें।
*करेला और सहजन की फ़ली का नित्य सेवन उच्च रक्त चाप में परम हितकारी हैं।
*सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों को बराबर लेकर पाउडर बना लें। इसे एक चम्मच एक गिलास पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
*हाई ब्लड प्रैशर में पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं।
*उच्च रक्त चाप में मरीजों को सुबह शाम एक टुकड़ा अदरक का काली मिर्च के साथ चूसना चाहिए ।
*लाल मिर्च के सेवन से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं,जिससे रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और
रक्तचाप नीचे आ जाता है।
*बिना आते से चोकर निकाले गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खानी चाहिए ।
*पाँच ग्राम मेथीदाना पावडर द्रह दिनों तक सुबह-शाम पानी के साथ लें। इससे भी लाभ मिलता है।
*प्रतिदिन नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट जरूर चलें, इससे ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।
प्रणाली | परीक्षण |
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गुर्दे संबंधी | सूक्ष्म मूत्र विश्लेषण, (प्रोटीनुरिया) प्रोटीनमेह, सीरम BUN (रक्त यूरिया नाइट्रोजन) और/या क्रेटनाइन |
अंत: स्राव (एन्डोक्राइन) | सीरम सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, TSH (थायराइड-उत्तेजक हॉर्मोन)। |
मेटाबोलिक (चयापचयी) | निराहार रक्त ग्लूकोज, कुल कोलेस्ट्रॉल, HDL और LDL कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स |
अन्य | हेमाटॉक्रिट, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और छाती का रेडियोग्राफ़ |
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