जवान बने रहने के बेहद खास प्राचीन उपाय
जवान बने रहने के बेहद खास प्राचीन उपाय
ज्यादा पानी पीयें-
वचा की झुर्रियां बुढापे का प्रमुख लक्षण होता है। दिन भर में ४ लीटर पानी पीना इसका कारगर उपचार है। अधिक पानी पीने से शरीर के अन्य कई रोग दूर होते हैं।
तनाव से बचें-
क्रोध करने और मानसिक चिंता से समय से पहिले ही त्वचा पर झुर्रिया आने लगती हैं। दिमागी तनाव से हमारे शरीर में एक रासायनिक प्रक्रिया उत्पन्न होती है जिससे कोर्टिसोल उत्पन्न होता है जो हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।
धूम्रपान न करें-
बीडी,सिगरेट पीने वालों की त्वचा पर सिलवटें बुढापा आने से पहिले ही दिखाई देने लगती हैं। धूम्र पान से शरीर में ऐसे एन्जाईम्स उत्पन्न होते हैं जो झुर्रियों के लिये जिम्मेदार माने गये हैं। जेतुन के तैल में नींबू का रस मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से चेहरे की त्वचा की झुर्रियां नियंत्रित होती हैं। चेहरे पर चमक लाने का यह अच्छा उपाय है।
विटामिन सी-
विटामिन सी का अधिक मात्रा में सेवन करना परम हितकारी उपचार है। इस विटामिन के सेवन करने से त्वचा की झुर्रियों का निवारण होता है। इसके अच्छे स्रोत हैं--आंवला,संतरा,पपीता,नींबू,टमाटर,फ़ूल गोभी,हरी मिर्च,आम,तरबूज,पाईनेपल ।इन चीजों का भरपूर इस्तेमाल करने से शरीर् पर बुढापे की छाप आसानी से नहीं लग पाएगी।
थोड़ी सी कसरत और मछली के तेल-
थोड़ी सी कसरत और मछली के तेल के नियमित सेवन से मांसपेशियों में नई ताकत लाकर बुढापे की आमद को धीमा किया जा सकता है। हाल के एक परीक्षण से पता चला है कि 65 साल से अधिक आयु की जिन महिलाओं ने हलकी कसरत के साथ मछली के तेल का सेवन किया उनकी मांसपेशियों की ताकत जैतून के तेल का सेवन करने वाली महिलाओं से दुगुनी बढी।
मस्तिष्क को बूढ़ा होने से रोकने में मदद करता है मछली का तेल --वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मछली खाने से आपको अपने मस्तिष्क को ताकतवर रखने में मदद मिल सकती है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने पाया कि आहार में ‘ओमेगा...3 फैट्टी एसिड’ की कमी के चलते मस्तिष्क के संकुचन और मानसिक क्षय में तेजी आती है।
अलसी में ओमेगा फ़ेट्टी एसीड प्रचुरता से पाया जाता है। मछली न खाने वालों के लिये यह बेहतरीन विकल्प है। १०० ग्राम अलसी के बीज लेकर मिक्सर या ग्राईंडर में चलाकर दर दरा चूर्ण बनालें। २० ग्राम चूर्ण पानी के साथ रोज सुबह सेवन करें। लंबे समय तक जवान बने रहने का यह बहुत आसान उपाय है।
ज्यादा शकर खाने से हो सकते हैं असमय बूढ़े -त्वचा,बालों और शरीर के अन्य अंगों के तेजी से बूढ़े होने के लिए तीन प्रमुख कारण हैं|-
१) ग्लाईकेजिन
२) अघिक धुप में रहना
३) इन्फ्लेमेशन ( शोथ)
झुर्रियाँ त्वचा के ढीलेपन और उस पर गहरी लकीरें पड़ने का मुख्य कारण ग्लाईकेजिन है जो अधिक चीनी खाने से होता है| इससे कम उम्र में ही बुढापे की झलक प्रकट होने लगती है|
सेहत के लिए गुणों से भरपूर है लहसुन-
लहसुन गुणों से भरपूर भरतीय सब्जियों का स्वाद बढाने वाला ऐसा पदार्थ है जो प्राय; हर घर में इस्तेमाल किया जाता है|अधिकाँश लोग इसे केवल एक मसाले के तौर पर ही प्रयोग करते हैं| लेकि एक औषधि के रूप में भी लहसुन बेहद महत्वपूर्ण है|
लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाती है| यह केंसर जैसे मारक रोग से लड़ने में शरीर की मदद करता है| चिकित्सक पेनक्रियाज , कोलन,ब्रेस्ट प्रोस्टेट केंसर में इसका प्रयोग करने की सलाह देते हैं| लहसुन सेवन से शरीर में रोग का संक्रमण कम होता है|
लहसुन खाने से खून में अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढती है इससे ह्रदय रोगों पर काबू पाना आसान हो जाता है| हाईपर टेंशन के रोगियों को प्रतिदिन तीन लहसुन की कली खाने का नियम बना लेना चाहिए| इसमें जो एलीसिन तत्त्व होता है वो
लड प्रेशर को सामान्य बनाने मे सहायता करता है|
पेट की गैस और कब्ज की बीमारी से परेशान लोगों को अपने भोजन में लहसुन का नियम पूर्वक व्यवहार करना कर्त्तव्य है|
जोड़ों के दर्द व कमर के दर्द में लहसुन की खीर असरदार होती है| ७ कली लहसुन की बारीक काट लें और दूध में उबालें ,स्वाद के लिए थौड़ी सी शकर भी डालें| मामूली गरम हालत में पियें| दर्द भी घुटने टेकेगा|
सुनने की क्षमता बढाने के लिए सरसों के तेल में लहसुन डालकर पकालें| छान लें ,शीशी में भर लें| बहरापन दूर करने के लिए यह तेल २-३ बूँद कान में डालकर रूई लगालें| ४५ दिन में फ़ायदा दिखेगा | कान का दर्द भी इस दवा से मिट जाता है|
चाय पान के हानि -लाभ-
चाय चीन,जापान,लंका एव. बर्मा में प्रचुर मात्रा में उगाई जाती है| भारत में विशेषत: देहरादून,नीलगिरी,दार्जिलिंग और आसाम में चाय की खेती की जाती है| चाय का प्रभाव मृदु उत्तेजक होने से ज्ञान तंतुओं पर इसका विशेष असर पड़ता है|
चाय बनाने का सही तरीका यह है:-पानी,दूध,शकर आवश्यक मात्रा में उबालें|जब उबाल आ जाये तब नीचे उतारलें और उसमें आवश्यक मात्रा में चाय पती डालकर पांच से १० मिनिट ढँक कर रखें| इसके बाद इसे छानने के बाद कुछ नाश्ता करें फिर शांति पूर्वक चाय पान करें यह चाय शरीर के लिए आरोग्यप्रद है| चाय को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए पुदीना,इलायची ,काली मिर्च,सौंठ का पावडर ,लौंग तुलसी के पत्ती भी इच्छानुसार डाले जा सकते है|
चाय में केफीन तत्त्व होता है जो बेहद हानिकारक होता है| यह मूत्रल होता है,नाड़ी मंडल को उत्तेजित करता है और मांस पेशियों की ताकत में कमी लाता है| केफीन शरीर में तुरंत अवशोषित हो जाता है| यह शरीर से पसीने के द्वारा बाहर निकलता है| इसी केफीन के कारण चाय पीने पर स्फूर्ति का अनुभव होता है| अत; केफीन का उपयोग सर दर्द,मूत्र कृच्छ,जीर्ण वृक्क प्रदाह,ह्रदय तथा फेफड़े के शौथ पर होता है| चाय दिल की धडकन बढाती है| चाय में टेनिन नामक तत्त्व भी होता है जो शरीर को हानि करता है| इससे अनिद्रा रोग पैदा होता है| आरोग्य की दृष्टी से केफीन और टेनिक एसिड दोनों हानि कारक हैं|
ज्यादा उबाली हुई चाय में टेनिक एसिड लीवर को हानि पहुंचाता है| यह रुधिर वाहिनियों की दीवारों को कठोर बनाता है| रक्त संचरण में बाधा डालता है| सस्ती तथा बारीक चुरा जैसी चाय में टेनिक एसीड की मात्रा ज्यादा होती है| चाय का अधिक व्यवहार करने से दुर्बलता आती है चेहरा फीका पड जाता है, पाचन क्रिया मंद और विकृत हो जाती है| कब्ज की बीमारी लग जाती है| ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है|
चाय के अधिक सेवन से नींद न आना,वीर्य का पतलापन , सहनशीलता का नाश,,नाड़ी -शूल,हृदय की क्रिया अनियमित होना, और छाती में दर्द जैसे लक्षण उत्पना हो जाते है| कड़क और ज्यादा मीठी चाय पीने के ज्यादा दुष्प्रभाव होते हैं|
चाय के विकल्प के तौर पर पुदीना,तुलसी,लौंग,इलायची,दूध,पानी,शकर आवश्यक मात्रा में मिलाकर ,उबालकर छानकर पीजिए| यह शरीर और मन के लिए हितकारी
कोलेस्ट्रोल कम ऐसे करें--
कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार।, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू उपचार यहाँ दिए जा रहे हैं-
- कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।
- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।
- सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है।
- लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं।
- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।
- शराब या कोई नशा मत करें, बचें।
- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।
- दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा।
- रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।
गर्मी में ईमली खाएं रोग भगाएं--
कच्ची और नई इमली खाने से शरीर में कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं लेकिन पुरानी इमली कई बीमारियों में बेहतरीन औषधि का काम करती है| गर्मी की ऋतू में इसका सेवन विशेष रूप से फायदेमंद रहता है|इसके सेवन से एसीडीटी और कब्ज जैसी अनेक समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है| ईमली का गूदा ही नहीं ,इसके बीज,छिलके और पत्ते भी उपयोगी हैं|
इमली में साईट्रिक एसीड ,टार्टरिक एसीड ,पोटाशियम बाई टार्टरेट.फास्फोरिक एसीड ,इनोसिटोल आदि तत्व पाए जाते हैं| इन तत्वों की मौजूदगी से इमली हमारी त्वचा और गुणसूत्रों को सीधे प्रभावित करती है| गर्मियों में इमली के नियमित सेवन करने से लू नहीं लगती है| ईमली का पेय लेने से मितली,चक्कर आना जैसी समस्याएं नहीं होती हैं|
इसे गर्मी का टोनिक भी मना जाता है| जिन लोगों को पित्त बढ़ने की समस्या हो उन्हें रात में थोड़ी इमली कुल्हड़ में भिगो देना चाहिए | सुबह में मसलकर छानकर इमली का रस निकाल लेना चाहिए| इस रस में थोड़ा सा गुड डालकर खाली पेट पी जाएँ| एक सप्ताह के प्रयोग से पित्त की समस्या से मुक्ति मिल जाती है|
सीने में जलन हो तो पकी इमली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से राहत मिलती है|
३० ग्राम इमली पानी में भिगो दें| कुछ घंटे बाद मसलकर इसका पानी पीएं| इससे घाव और फोड़े-फुंसी में लाभ मिलता है|
गर्मी की वजह से उल्टियां हो रही हों तो ईमली का पानी पीने से तुरंत फ़ायदा होता है|
बवासीर रोग ठीक होता है| इमली के फूलों का रस भी बवासीर ठीक करने की ताकत रखता है|
१० ग्राम इमली एक लीटर पानी में उबालें| इस पानी में गुलाब जल मिलाकर गरारे करने से गले की सूजन दूर होती है|
इमली के पत्ते का रस शकर मिलाकर पीने से अतिसार(डायरिया) ठीक होता है|
ज्यादा पानी पीयें-
वचा की झुर्रियां बुढापे का प्रमुख लक्षण होता है। दिन भर में ४ लीटर पानी पीना इसका कारगर उपचार है। अधिक पानी पीने से शरीर के अन्य कई रोग दूर होते हैं।
तनाव से बचें-
क्रोध करने और मानसिक चिंता से समय से पहिले ही त्वचा पर झुर्रिया आने लगती हैं। दिमागी तनाव से हमारे शरीर में एक रासायनिक प्रक्रिया उत्पन्न होती है जिससे कोर्टिसोल उत्पन्न होता है जो हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।
धूम्रपान न करें-
बीडी,सिगरेट पीने वालों की त्वचा पर सिलवटें बुढापा आने से पहिले ही दिखाई देने लगती हैं। धूम्र पान से शरीर में ऐसे एन्जाईम्स उत्पन्न होते हैं जो झुर्रियों के लिये जिम्मेदार माने गये हैं। जेतुन के तैल में नींबू का रस मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से चेहरे की त्वचा की झुर्रियां नियंत्रित होती हैं। चेहरे पर चमक लाने का यह अच्छा उपाय है।
विटामिन सी-
विटामिन सी का अधिक मात्रा में सेवन करना परम हितकारी उपचार है। इस विटामिन के सेवन करने से त्वचा की झुर्रियों का निवारण होता है। इसके अच्छे स्रोत हैं--आंवला,संतरा,पपीता,नींबू,टमाटर,फ़ूल गोभी,हरी मिर्च,आम,तरबूज,पाईनेपल ।इन चीजों का भरपूर इस्तेमाल करने से शरीर् पर बुढापे की छाप आसानी से नहीं लग पाएगी।
थोड़ी सी कसरत और मछली के तेल-
थोड़ी सी कसरत और मछली के तेल के नियमित सेवन से मांसपेशियों में नई ताकत लाकर बुढापे की आमद को धीमा किया जा सकता है। हाल के एक परीक्षण से पता चला है कि 65 साल से अधिक आयु की जिन महिलाओं ने हलकी कसरत के साथ मछली के तेल का सेवन किया उनकी मांसपेशियों की ताकत जैतून के तेल का सेवन करने वाली महिलाओं से दुगुनी बढी।
मस्तिष्क को बूढ़ा होने से रोकने में मदद करता है मछली का तेल --वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मछली खाने से आपको अपने मस्तिष्क को ताकतवर रखने में मदद मिल सकती है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने पाया कि आहार में ‘ओमेगा...3 फैट्टी एसिड’ की कमी के चलते मस्तिष्क के संकुचन और मानसिक क्षय में तेजी आती है।
अलसी में ओमेगा फ़ेट्टी एसीड प्रचुरता से पाया जाता है। मछली न खाने वालों के लिये यह बेहतरीन विकल्प है। १०० ग्राम अलसी के बीज लेकर मिक्सर या ग्राईंडर में चलाकर दर दरा चूर्ण बनालें। २० ग्राम चूर्ण पानी के साथ रोज सुबह सेवन करें। लंबे समय तक जवान बने रहने का यह बहुत आसान उपाय है।
ज्यादा शकर खाने से हो सकते हैं असमय बूढ़े -त्वचा,बालों और शरीर के अन्य अंगों के तेजी से बूढ़े होने के लिए तीन प्रमुख कारण हैं|-
१) ग्लाईकेजिन
२) अघिक धुप में रहना
३) इन्फ्लेमेशन ( शोथ)
झुर्रियाँ त्वचा के ढीलेपन और उस पर गहरी लकीरें पड़ने का मुख्य कारण ग्लाईकेजिन है जो अधिक चीनी खाने से होता है| इससे कम उम्र में ही बुढापे की झलक प्रकट होने लगती है|
सेहत के लिए गुणों से भरपूर है लहसुन-
लहसुन गुणों से भरपूर भरतीय सब्जियों का स्वाद बढाने वाला ऐसा पदार्थ है जो प्राय; हर घर में इस्तेमाल किया जाता है|अधिकाँश लोग इसे केवल एक मसाले के तौर पर ही प्रयोग करते हैं| लेकि एक औषधि के रूप में भी लहसुन बेहद महत्वपूर्ण है|
लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाती है| यह केंसर जैसे मारक रोग से लड़ने में शरीर की मदद करता है| चिकित्सक पेनक्रियाज , कोलन,ब्रेस्ट प्रोस्टेट केंसर में इसका प्रयोग करने की सलाह देते हैं| लहसुन सेवन से शरीर में रोग का संक्रमण कम होता है|
लहसुन खाने से खून में अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढती है इससे ह्रदय रोगों पर काबू पाना आसान हो जाता है| हाईपर टेंशन के रोगियों को प्रतिदिन तीन लहसुन की कली खाने का नियम बना लेना चाहिए| इसमें जो एलीसिन तत्त्व होता है वो
लड प्रेशर को सामान्य बनाने मे सहायता करता है|
पेट की गैस और कब्ज की बीमारी से परेशान लोगों को अपने भोजन में लहसुन का नियम पूर्वक व्यवहार करना कर्त्तव्य है|
जोड़ों के दर्द व कमर के दर्द में लहसुन की खीर असरदार होती है| ७ कली लहसुन की बारीक काट लें और दूध में उबालें ,स्वाद के लिए थौड़ी सी शकर भी डालें| मामूली गरम हालत में पियें| दर्द भी घुटने टेकेगा|
सुनने की क्षमता बढाने के लिए सरसों के तेल में लहसुन डालकर पकालें| छान लें ,शीशी में भर लें| बहरापन दूर करने के लिए यह तेल २-३ बूँद कान में डालकर रूई लगालें| ४५ दिन में फ़ायदा दिखेगा | कान का दर्द भी इस दवा से मिट जाता है|
चाय पान के हानि -लाभ-
चाय चीन,जापान,लंका एव. बर्मा में प्रचुर मात्रा में उगाई जाती है| भारत में विशेषत: देहरादून,नीलगिरी,दार्जिलिंग और आसाम में चाय की खेती की जाती है| चाय का प्रभाव मृदु उत्तेजक होने से ज्ञान तंतुओं पर इसका विशेष असर पड़ता है|
चाय बनाने का सही तरीका यह है:-पानी,दूध,शकर आवश्यक मात्रा में उबालें|जब उबाल आ जाये तब नीचे उतारलें और उसमें आवश्यक मात्रा में चाय पती डालकर पांच से १० मिनिट ढँक कर रखें| इसके बाद इसे छानने के बाद कुछ नाश्ता करें फिर शांति पूर्वक चाय पान करें यह चाय शरीर के लिए आरोग्यप्रद है| चाय को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए पुदीना,इलायची ,काली मिर्च,सौंठ का पावडर ,लौंग तुलसी के पत्ती भी इच्छानुसार डाले जा सकते है|
चाय में केफीन तत्त्व होता है जो बेहद हानिकारक होता है| यह मूत्रल होता है,नाड़ी मंडल को उत्तेजित करता है और मांस पेशियों की ताकत में कमी लाता है| केफीन शरीर में तुरंत अवशोषित हो जाता है| यह शरीर से पसीने के द्वारा बाहर निकलता है| इसी केफीन के कारण चाय पीने पर स्फूर्ति का अनुभव होता है| अत; केफीन का उपयोग सर दर्द,मूत्र कृच्छ,जीर्ण वृक्क प्रदाह,ह्रदय तथा फेफड़े के शौथ पर होता है| चाय दिल की धडकन बढाती है| चाय में टेनिन नामक तत्त्व भी होता है जो शरीर को हानि करता है| इससे अनिद्रा रोग पैदा होता है| आरोग्य की दृष्टी से केफीन और टेनिक एसिड दोनों हानि कारक हैं|
ज्यादा उबाली हुई चाय में टेनिक एसिड लीवर को हानि पहुंचाता है| यह रुधिर वाहिनियों की दीवारों को कठोर बनाता है| रक्त संचरण में बाधा डालता है| सस्ती तथा बारीक चुरा जैसी चाय में टेनिक एसीड की मात्रा ज्यादा होती है| चाय का अधिक व्यवहार करने से दुर्बलता आती है चेहरा फीका पड जाता है, पाचन क्रिया मंद और विकृत हो जाती है| कब्ज की बीमारी लग जाती है| ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है|
चाय के अधिक सेवन से नींद न आना,वीर्य का पतलापन , सहनशीलता का नाश,,नाड़ी -शूल,हृदय की क्रिया अनियमित होना, और छाती में दर्द जैसे लक्षण उत्पना हो जाते है| कड़क और ज्यादा मीठी चाय पीने के ज्यादा दुष्प्रभाव होते हैं|
चाय के विकल्प के तौर पर पुदीना,तुलसी,लौंग,इलायची,दूध,पानी,शकर आवश्यक मात्रा में मिलाकर ,उबालकर छानकर पीजिए| यह शरीर और मन के लिए हितकारी
कोलेस्ट्रोल कम ऐसे करें--
कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार।, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू उपचार यहाँ दिए जा रहे हैं-
- कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।
- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।
- सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है।
- लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं।
- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।
- शराब या कोई नशा मत करें, बचें।
- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।
- दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा।
- रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।
गर्मी में ईमली खाएं रोग भगाएं--
इमली में साईट्रिक एसीड ,टार्टरिक एसीड ,पोटाशियम बाई टार्टरेट.फास्फोरिक एसीड ,इनोसिटोल आदि तत्व पाए जाते हैं| इन तत्वों की मौजूदगी से इमली हमारी त्वचा और गुणसूत्रों को सीधे प्रभावित करती है| गर्मियों में इमली के नियमित सेवन करने से लू नहीं लगती है| ईमली का पेय लेने से मितली,चक्कर आना जैसी समस्याएं नहीं होती हैं|
इसे गर्मी का टोनिक भी मना जाता है| जिन लोगों को पित्त बढ़ने की समस्या हो उन्हें रात में थोड़ी इमली कुल्हड़ में भिगो देना चाहिए | सुबह में मसलकर छानकर इमली का रस निकाल लेना चाहिए| इस रस में थोड़ा सा गुड डालकर खाली पेट पी जाएँ| एक सप्ताह के प्रयोग से पित्त की समस्या से मुक्ति मिल जाती है|
सीने में जलन हो तो पकी इमली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से राहत मिलती है|
३० ग्राम इमली पानी में भिगो दें| कुछ घंटे बाद मसलकर इसका पानी पीएं| इससे घाव और फोड़े-फुंसी में लाभ मिलता है|
गर्मी की वजह से उल्टियां हो रही हों तो ईमली का पानी पीने से तुरंत फ़ायदा होता है|
बवासीर रोग ठीक होता है| इमली के फूलों का रस भी बवासीर ठीक करने की ताकत रखता है|
१० ग्राम इमली एक लीटर पानी में उबालें| इस पानी में गुलाब जल मिलाकर गरारे करने से गले की सूजन दूर होती है|
इमली के पत्ते का रस शकर मिलाकर पीने से अतिसार(डायरिया) ठीक होता है|
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